सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।
अर्थ - "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।"
सहयोग चैरिटेबल ट्रस्ट
Sahyog Charitable Trust
बाबा सारण दास मंदिर निराला से अयोध्या धाम के लिए सनातन यात्रा का आयोजन किया गया है जो कि मात्र 51 रू मे हर माह इस यात्रा को कराया जाएगा।
यात्रा को महंत बाबा अशोक दास रंजन महेश्वरी दया दीक्षित जी के द्वारा झंडा दिखा कर बस को अयोध्या धाम के लिए प्रस्थान किया गया।
संस्थापक अध्यक्ष लक्ष्मी प्रकाश दीक्षित, बब्बु पांडे, सरला मिश्रा, संध्या दीक्षित, शील जैसवाल, अनुज जैसवाल, अनजनी पांडे, अतुल शुक्ला, सौरभ गोयल, अजय रमाकांत, सौरभ मिश्रा, मनोज शुक्ला, टी डी पांडे, तान्या कश्यप, राम मिलन आदि सैकड़ों सहयोगी साथियों का बहुत बहुत आभार धन्यवाद जो इस सनातन यात्रा को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।
समस्त सदस्यों का व दानदाताओं का बहुत बहुत आभार धन्यवाद, जिन्होंने इस कार्य में दान दे करके सक्रिय भागेदारी निभाई।
चलो चले सहयोग की ओर से चलो चले सनातन की ओर हाथ से हाथ मिलाइये सहयोग करते जाइए।

आप सभी के सहयोग से संपूर्ण भारत में (प्रथम) लखनऊ में जो भी देवस्थान मंदिर बने हुए हैं और उनकी पूजा समाप्त हो गई है या नहीं हो रही है। उन सभी देवस्थान मंदिरों को चिन्हित करके, नित्य पूजा पाठ एवं साफ सफाई का कार्य सहयोग चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा पुजारी रख कर व्यवस्था की जाएगी। पुजारी एवं सफाई कर्मी को हर महीने सेवा शुल्क दिया जाएगा। जिस किसी भी साथी को ऐसे देवस्थान मंदिर की जानकारी हो तो सहयोग चैरिटेबल ट्रस्ट को सूचित करने की मेहरबानी करें। इस नंबर पर फोन करें और सूचित करें मोबाइल नंबर 9696 012975 फोटो पता और मोबाइल नंबर के साथ सूचित करें। ट्रस्ट संपूर्ण प्रयास करेगा कि जल्द से जल्द उस देवस्थान मंदिर का प्रशासन व क्षेत्रीय जनमानस की अनुमति लेकर नियमित पूजा पाठ एवं साफ सफाई का कार्य प्रारंभ कराया जाए। किन्नर समाज को संगठित करके उनकी समस्याओं को सरकार एवं जनमानस के समक्ष रखते हुए, उनकी सेवा की जायगी क्युकी किन्नर ईश्वर का स्वरुप है।
आप सभी के सहयोग से हर महीने तीर्थ यात्रा कराई जाएगी, जो की मात्र 51 रुपए शुल्क में कराया जाएगा। विभिन्न तीर्थ स्थान में तीर्थ यात्रा कराई जाएगी, जिसमें भोजन निशुल्क रहेगा, जो भी साथी इस पुनीत कार्य में जुड़ना चाहते हैं या हमें सहयोग करना चाहते हैं सहयोग चैरिटेबल ट्रस्ट को निम्न प्रकार से सहयोग कर सकते हैं तन मन धन धर्म कर्म राशन सब्जी तेल इत्यादि सहयोग नंबर 9696012975।
हिन्दू धर्म में कोई एक अकेले सिद्धान्तों का समूह नहीं है जिसे सभी हिन्दुओं को मानना ज़रूरी है। ये तो धर्म से ज़्यादा एक जीवन का मार्ग है। हिन्दुओं का कोई केन्द्रीय चर्च या धर्मसंगठन नहीं है और न ही कोई "पोप"। इसके अन्तर्गत कई मत और सम्प्रदाय आते हैं और सभी को बराबर श्रद्धा दी जाती है। धर्मग्रन्थ भी कई हैं। फ़िर भी, वो मुख्य सिद्धान्त, जो ज़्यादातर हिन्दू मानते हैं, इन सब में विश्वास: धर्म (वैश्विक क़ानून), कर्म (और उसके फल), पुनर्जन्म का सांसारिक चक्र, मोक्ष (सांसारिक बन्धनों से मुक्ति--जिसके कई रास्ते हो सकते हैं) और बेशक, ईश्वर। हिन्दू धर्म स्वर्ग और नरक को अस्थायी मानता है। हिन्दू धर्म के अनुसार संसार के सभी प्राणियों में आत्मा होती है। मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो इस लोक में पाप और पुण्य, दोनो कर्म भोग सकता है और मोक्ष प्राप्त कर सकता है। हिन्दू धर्म में चार मुख्य सम्प्रदाय हैं : वैष्णव (जो विष्णु को परमेश्वर मानते हैं), शैव (जो शिव को परमेश्वर मानते हैं), शाक्त (जो देवी को परमशक्ति मानते हैं) और स्मार्त (जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं)। लेकिन ज्यादातर हिन्दू स्वयं को किसी भी सम्प्रदाय में वर्गीकृत नहीं करते हैं। प्राचीनकाल और मध्यकाल में शैव, शाक्त और वैष्णव आपस में लड़ते रहते थे। जिन्हें मध्यकाल के संतों ने समन्वित करने की सफल कोशिश की और सभी संप्रदायों को परस्पर आश्रित बताया।
  • तीर्थ यात्रा
  • सनातन धर्म की रक्षा हेतु विभिन्न देवस्थान, धार्मिक निःशुल्क यात्रा भ्रमण
  • देवस्थानो का पुनः जीर्णोधार
  • सामाजिक विवाह बन्धन
  • हिन्दुत्व की पूर्ण स्थापना एवं सनातन धर्म की रक्षा हेतू सम्भाविक कार्य
  • भंडारा
  • साधू सन्तों का समागम
  • किननर सेवा एवम रोजगार
  • जिन मंदिरों में पूजा नहीं हो रही है उसकी सूचना प्राप्त होते ही उचित सहयोग
  • घरों एवम कार्यालय से प्राप्त मूर्ति विसर्जन
  • चैरिट्रेवल दवाखाना
  • भोजन वितरण
  • यात्रा
  • डोनेशन
पदाधिकारी सदस्य
पं० लक्ष्मी प्रकाश दीक्षित (दीपू भईया)
अध्यक्ष
सरला मिश्रा
प्रबन्धक
बुद्धेश कु० पाण्डेय (बब्बू पांडे भैया)
कोषाध्यक्ष
संध्या दीक्षित
सदस्य
हिन्दू धर्म (संस्कृत: हिन्दू धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत, नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसके अलावा सूरीनाम, फिजी इत्यादि। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है।

गैर सरकारी संगठन (NGO) एक ऐसा शब्द है जो बिना किसी सरकार की भागीदारी या प्रतिनिधित्व के साथ प्राकृतिक या कानूनी व्यक्तियों के द्वारा बनाए गए विधिवत संगठित गैर सरकारी संगठनों को संदर्भित करने के लिए व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। उन मामले में जिनमें गैर सरकारी संगठन पूरी तरह से या आंशिक रूप से सरकारों द्वारा निधिबद्ध होते हैं, NGO अपना गैर-सरकारी ओहदा बनाए रखता है और सरकारी प्रतिनिधिओं को संगठन में सदस्यता से बाहर रखता है। शब्द इंटरगवर्नमेंटल ओर्गेनाइज़ेशन के विपरीत, "गैर सरकारी संगठन" एक आम उपयोग का शब्द है, लेकिन एक कानूनी परिभाषा नहीं है। कई न्यायालयों में इस प्रकार के संगठनों को "नागरिक समाज संगठन" के रूप में परिभाषित किया जाता है या अन्य नामों से निर्दिष्ट किया जाता है।
गैर सरकारी संगठनों में सफलता दर्शाने के लिये प्रबंधन तकनीक महत्त्वपूर्ण होती है। सामान्यतः, गैर सरकारी संगठन, जो निजी होते हैं, या तो उनके पास समुदाय होता है अथवा पर्यावरण की ओर झुके होते हैं। वे धर्म, आकस्मिक सहायता अथवा मानवीय मामलों जैसे कई मुद्दों को उठाते हैं। वे जन समर्थन तथा स्वैच्छिक योगदान प्राप्त करते हैं; उनका विकासशील देशों में कम्यूनिटी समूहों के साथ बहुधा मजबूत संपर्क होते हैं, तथा वे बहुधा ऐसे क्षेत्रों में कार्य करते हैं जहां पर सरकारी मदद संभव नहीं होती. गैर सरकारी संगठन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध परिदृश्य के भाग के रूप में स्वीकार किये जाते हैं, तथा जब कि वे राष्ट्रीय तथा बहुपक्षीय नीति-निर्धारण को प्रभावित करते हैं, वे स्थानीय क्रियाओं में अधिकतर प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित होते हैं।
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